lalita kashyap

Add To collaction

जीवन सुरभित हो जाए

प्रदत विषय - जीवन सुरभित हो जाए।

मात्रा भार- 16/14
छंद ताटंक

सदा रहे अंतर पट कुसमित, हृदय सुगंधित हो जाए।
मनपट हर पल बाग -बाग हो, जीवन सुरभित हो जाए।।
मुख वाणी मधु वाक उचारे, शीतल मनवा हो जाए।
रहे सहोदर विचार सदैव, जग जन अपना हो जाए।।
तज कर वैर भावना दिल की, हृदय बसेरा हो जाए।
देकर आदर मान सभी को, शुभ्र सवेरा हो जाए।।
हृदय बंधते  तार सभी के, एक सूत्र में हो जाए।
बने अनेक से एक हमारा, नारा जीवत हो जाए।।

ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

   15
3 Comments

Mohammed urooj khan

06-Feb-2024 12:49 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

Reply

Milind salve

05-Feb-2024 12:37 PM

Nice

Reply

Gunjan Kamal

05-Feb-2024 11:05 AM

👏👌

Reply